हम किसी न किसी रूप में अपनी चाहत को वक्त करते हैं। हम किसी न किसी रूप में अपनी चाहत को वक्त करते हैं।
सुनता था मोहब्बत में होता है सब जायज... सुनता था मोहब्बत में होता है सब जायज...
बारिश, आ नीचे आज क्या आकाश की अटारी पे जा के बैठा है? बारिश, आ नीचे आज क्या आकाश की अटारी पे जा के बैठा है?
आँखें मौसम की मारे पिचकारी, के आजा रंग खेलें रसिया । आँखें मौसम की मारे पिचकारी, के आजा रंग खेलें रसिया ।
बचपन से देखी एक मूर्त कहते जिसे हम माँ की सूरत, थामकर उंगली ,सिखाया चलना दिखाया प बचपन से देखी एक मूर्त कहते जिसे हम माँ की सूरत, थामकर उंगली ,सिखाया चलना...
अब भी हमारी निगाहें देखेंगी उम्मीद भर के, अब हम भी निगाहें उनसे उतार गये। अब भी हमारी निगाहें देखेंगी उम्मीद भर के, अब हम भी निगाहें उनसे उतार गय...